कहानी – जीवन में आनंद का रहस्य | A Motivational Story – Secret Of Happiness

जीवन में आनंद

दोस्तों हमारी जीवन में खुशियों का होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की जीवन में भोजन करना, सांस लेना। ख़ुशी हमारे जीवन में सबसे जरुरी चीजों में से एक है जिसकी हर पल हमें जरूरत होती है। इसलिए आज मई एक ऐसी रोचक और प्रेरक कहानी लेकर आया हूँ जो ख़ुशी का असीमित रहस्य है अपने में समेटे हुए है। यह कहानी एक हीरे के व्यापारी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपना व्यापार दिल्ली से मुंबई तक करते हैं।

सेठ और चोर की कहानी

एक दिन की बात है सेठ जी बहुत सरे हीरे लेकर दिल्ली से मुंबई जा रहे थे, उन हीरों की कीमत करोडो में थी। इन हीरों को उस सेठ ने एक पोटली में बांधकर अपने पास रख लिया। सेठ जी दिल्ली से मुंबई जाने के लिए जिस ट्रेन में चढ़े थे, उसमे उनके साथ एक चोर भी चढ़ा। उस चोर को सेठ जी के हीरों के बारे में जानकारी थी जिसकी कीमती करोड़ों में थी जिसे लेकर सेठ दिल्ली से मुंबई जा रहे थे। ट्रेन में दिल्ली से मुंबई तक दो रातों का समाया लग्न था। सेठ जी के साथ चढ़े चोर ने मन ही मन तय कर लिया था कि कैसे भी हो कैसे भी करके मुझे यह हीरों से भरा पोटली चुराना है।

चोर मन ही मन उस करोडो के हीरे के बारे में सोच-सोच कर बहुत खुश हो रहा था। चोर सोचने लगा कि यदि यह करोड़ों रुपये के हीरे उसके हाथ लग गया तो उसकी तो चांदी ही चांदी हो जाएगी और वह पूरी जिंदगी आराम से गुजार सकता है। चोर ख़ुशी के मारे कुछ अजीब हरकत कर रहा था और चोर के इंज हरकतों को देख कर सेठ जी को समझ आ गया था कि यह एक चोर है और वह हीरे चुराने के लिए ही ट्रेन में चढ़ा है।

शाम होने को था बहुत सोचने से बाद चोर ने रात में ही चोरी करने का समय तय किया और इसलिए वह शाम को ही सोने गया। बहुत रात हो गया था और अब सेठ जी को भी नींद आने लगी थी लेकिन सेठ जी को चिंता थी अपने साथ रखे हुए करोड़ों के हीरे की जिसे चुराने चोर उसी बोगी में चढ़ा था। सेठ जी ने दिमाग लगाया और 10 बजे सोने जाने के पहले चुपके से सेठ जी ने हीरों से भरा पोटली चोर के ही बैग में रख दिया और सो गए।

बहुत रात हो चुकी थी करीब  1 बजे चोर की नींद खुली और उसने तुरंत हीरों से भरे सेठ जी के पोटली को चुराने के लिए सेठ जी सामान को देखना शुरू कर दिया और लाख कोशिश करने पुरे सामान को देखने के बाद भी उस चोर को सेठ जी सामान से हीरे का पोटली नहीं मिला। चोर परेशान हो गया क्यूंकि उसे चोरी कैसे भी करके रात में ही करना था इसलिए वह सेठ जी के कपड़ो में पोटली को खोजने लगा लेकिन वहां भी चोर को हीरे नहीं मिले। चोर ने सेठ जी के आस-पास सभी जगह पर उस हीरों की पोटली को खोजा लेकिन बहुत खोजने के बाद भी चोर को वह पोटली नहीं मिला।

पोटली ढूंढते-ढूंढते  सुबह के ५ बजे गए थे लेकिन अब तक चोर को वो पोटली मिला नहीं था और रात भर ढूंढने के कारण चोर भी बहुत थक गया था। फिर चोर ये सोच कर कि वह बहुत थक चूका है थोड़ी देर आराम कर लेता हूँ ताकि थकान मिट सके वह सो जाता है। जैसे ही चोर सोया थोड़ी देर बाद सेठ जी उठे और चोर के बैग से हीरों कि पोटली निकाल कर अपने पास रख लिया और आराम से ट्रेन में सफर का आनंद लेने लगे।चोर जब उठा तो उसकी साड़ी थकान मिट गया था और वह यही सोचते रहा कि सेठ जी ने हीरों की पोटली को छुपाया कहाँ था??? कुछ देर सोचने के बार चोर से दूसरी रात में उस पोटली को चुराने का निश्चय किया।

अब दूसरे दिन शाम को उस चोर ने रात में चोरी करने का विचार करके फिर से जल्दी से सो गया। और रात फिर सेठ जी ने अपने हीरों से भरे पोटली को उस चोर के बैग में फिर से रख दिया और सो गए। सेठ जी के सोने के बाद चोर उठा और उसने सेठ जी के सभी सामान की बारीकी से तलाशी लेने लगा लेकिन वह पोटली नही मिला। चोर ने फिर आसपास हर जगह बहुत ढूंढा लेकिन बहुत कोशिश के बाद भी उसे वो पोटली नहीं मिला। चोर फिर से बहुत थक गया था और फिर चोर कुछ देर के लिए सो गया। कुछ देर बाद सेठ जी उठे और उस चोर के बैग से अपनी हीरों की पोटली निकाल कर अपने पास रख लिए।

कुछ समय बाद चोर भी उठ गया और वह इस बात से बहुत परेशान था कि आखिर हीरों कि पोटली सेठ जी ने रखा कहाँ था??? वह यही सोचता ही रहा और ट्रेन मुंबई पहुँच गयी। जब सेठ जी ट्रेन से उतर कर जा रहे थे तो चोर भी सेठ जी के साथ में उतर गया। चोर आष्चर्यचकित हो गया था कि हीरों की पोटली मुझे क्यों नहीं मिली। उसके मन में सिर्फ एक ही सवाल था कि सेठ जी ने पोटली रखी कहा थी???

चोर से रहा न गया और उसने सेठ जी के पास जाकर बोला, “सेठ जी ! मैं आपके हीरों की पोटली को पिछले दो रातों से चुराने की कोशिश कर रहा था लेकिन बहुत ढूंढने के बाद भी मुझे वह पोटली नहीं मिला। कृपा करके आप मुझे यह बताये कि आपने वह पोटली छुपाया कहाँ था???”

चोरे की बात सुन कर सेठ जी हंसने लगे  और फिर बोले, “अरे मुर्ख। मैं समझ गया था कि तू मेरे हीरों से भरी पोटली को चुराने के लिए ही ट्रेन में चढ़ा है इसलिए मैंने हीरों की पोटली तेरे ही बैग में छुपा कर रख दिया था। जब तू उस पोटली को खोज रहा था, वह तेरे ही पास था। तू जिस हीरे की चोरी करना चाहता था असल में वह रात भर तेरे ही पास था और तू उस समय एक कंगाल चोर नहीं करोड़पति था।”

सेठ जी की बात सुनकर कर चोर दंग रह गया और फिर चोर ने निश्चय किया और कसम खायी कि वह आज के बाद कभी भी चोरी नहीं करेगा और वह वहां से चला जाता है।

इस कहानी से क्या सिख मिलती है?

दोस्तों यह कहानी कोई सामान्य कहानी नहीं है कि सिर्फ पढ़े और बस हो गया।  यह एक नैतिक कहानी (Moral Story) है जिसका उद्देश्य यह है कि जीवन में ख़ुशी की तलाश में हम बाहर ढूंढने रहते है दौड़ते भागते रहते हैं लेकिन यह ख़ुशी तो अपने ही अंदर होती है जिसे ढूंढने के लिए हम अपना समय बर्बाद करते हैं। हम जिंदगी भर पता नहीं कहाँ कहाँ इन खुशियों की खोज में भटकते रहते है लेकिन हमे असली ख़ुशी(Genuine Happiness) नहीं मिल पाती।

कभी ख़ुशी मिलती भी है तो कभी लम्बे समय तक रहती नहीं है इसका कारण सिर्फ और सिर्फ यही है कि हम इस बात से अनजान है कि असली ख़ुशी तो खुद हमारे ही अंदर छिपी हुई है और इसका श्रोत भी हम खुद ही हैं।

कबीर दास जी सच ही कहा है कि:

                            कस्तूरी कुण्डल बसै, मृग ढूँढ़ै वन माहि।

                            ऐसे घाट घट घट राम हैं, दुनिया देखत नाहि।

कबीर दास जी के इस दोहे का मतलब है कि कस्तूरी हिरन कस्तूरी की खुशबू को सूंघते हुए पूरे जंगल में इसे ढूंढता फिरता है और सोचता है कि यह सुगंध कहाँ से आ रही है लेकिन वास्तव में यह खुशबू उसके ही के कस्तूरी से आती रहती है जो उसके ही पास होती है।

इसी तरह हम भी अपनी खुशियों को बाहर के वस्तुओं में और अलग-अलग जगह ढूंढते रहते हैं लेकिन वास्तव में वह “Secret Of Happiness” हमारे खुद के अंदर ही होती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll to Top
Verified by MonsterInsights