Friends, today we have brought A Panchtantra Story Of Golden Dung, which you all will enjoy reading and you will also enjoy it.

एक बार की बात है, एक घना जंगल था जिसके बीचो-बीच एक बहुत बड़ा पड़ा पीपल का पेड़ था। उस पीपल ले पेड़ पर एक पक्षी रहता था जिसका नाम सिन्धुक था। वह पक्षी को साधारण पक्षी नहीं था, उसका मल सोने में बदल जाता था। एक समय की बात है वहां से एक शिकारी गुजर रहा था और वह बहुत थक गया था। जब वह शिकारी उस पीपल के पेड़ के नीचे पहुंचा तो सोचा थोड़ी देर आराम कर लिया जाये, उसके बाद आगे बढ़ा जाये।
इसके बाद वह शिकारी उस पीपल के नीचे आराम करने लगा। उसे आराम करते हुए कुछ हो देर हुआ था कि उस सिन्धुक नाम के पक्षी ने उसके सामने मल त्याग कर दिया। लेकिन इस बात से शिकारी बहुत गुस्सा हुआ और जैसे ही उस मल को जमीन पर गिर कर सोने में बदलते देखा उसकी खुसी का ठिकाना ना रहा। शिकारी इतना खुश हुआ कि सोने के लालच में आकर सिन्धुक को पकड़ने का सोचने लगा।
सिन्धुक को पकड़ने के लिए शिकारी ने जाल बिछाया फिर जैसे ही सिन्धुक जाल के पास आया वह उसमे फंस गया और निकलने की कोशिश करने के बाद भी नहीं निकल पाया। सिन्धुका को शिकारी पिंजरे में कैद करके अपने घर ला लिया। पिंजरे में कैद सिन्धुक को देख कर उस शिकारी को राजा का भय सताने लगा कि यदि राजा को यह बात पता चला तो वो सिन्धुक को दरबार में पेश करने कहेंगे बल्कि मुझे सजा भी देंगे।
शिकारी चिंता के कारण खुद ही सिन्धुक को लेकर राजा के सामने पेश हुआ और राजा को सिन्धुक के बारे में साडी बात बता दी। राजा ने सिन्धुक के बारे में सुन कर आश्चर्य से देखने लगे और उन्होंने आदेश दिया कि सिन्धुक को बड़ी सावधानी और अच्छे से इसका ख्याल रखा जाये तथा उसे अच्छे से खाना खिलाया जाये। राजा के इस आदेश पर मंत्री ने राजा से कहा – ” महाराज आप इस मुर्ख शिकारी की बात पर भरोष मत करिये। क्या कभी ऐसा होता है क्या कि कोई पक्षी मल त्याग करे और वह सोने में बदल जाये ? इसलिए यही अच्छा होगा कि आप शिन्धुक को आज़ाद करने का आदेश दें।
अपने मंत्री की बात मान कर राजा ने सिन्धुक को आज़ाद करने का आदेश दिया। जैसे ही सिन्धुक को आजजद किया उसने राजा के महल के दरवाजे पर मल त्याग किया और वह देखते ही देखते सोने में बदल गया। इस पर राजा ने अपने मंत्रियों को उस सिन्धुक पक्षी को पकड़ कर दरबार में पेश करने का आदेश दिया, लेकिन सिन्धुक ऊंचाई में जा चूका था।
जाते-जाते सिन्धुक ने कहा –“मैं बेवकूफ था, जो शिकारी के सामने मल त्याग किया, और शिकारी बेवकूफ था, जो मुझे राजा के पास ले आया, और राजा बेवकूफ था, जो मंत्री की बातों में आ गया।”
शिक्षा:-
हमें कभी भी दूसरों के बातों में नहीं आना चाहिए, सबसे पहले हमे अपने स्वयं के दिमाग से काम लेना चाहिए।