कहानी – सामने वाली इमारत (Front Building)

रायपुर के एक ऑफिस में निकिता नाम के महिला कार्य करती थी। निकिता को सिर्फ अपने ही किये गए कार्य ही पसंद आता था और दुसरो के कार्य को बिल्क़ुल भी पसंद नहीं करती थी। वह हमेशा अपने ऑफिस में साथ कार्य करने वाले के किये गए कार्यों में कितनी भी अच्छा क्यों न किया गया हो कोई न कोई कमी निकल ही देती थी। एक दिन की बात है जब निकिता अपने ऑफिस में कार्य कर रही थी तो वो देखती है कि उसके ऑफिस के सामने वाले बिल्डिंग में एक महिला कपडे सूखा रही है।
क्या है नकारात्मक नजरिया?
उस महिला को देखते ही निकिता अपने पास में बैठी सहकर्मी से कहती है, “देखो तो ! वह महिला कपडे सूखा रही है वह कितने गंदे है, कितने गंदे कपडे धोती है वह। इसका घर तो देखो वह भी कितना गन्दा है। और वह जो कपडे पहनी है उसे तो देखो उसके पहने हुए कपडे भी कितने गंदे हैं।”
निकिता के पास में बैठी उसकी सहकर्मी हां में हाँ मिलायी और फिर अपना करने करने में व्यस्त हो गयी। अब तो वह महिला रोज ही कपडे सूखने आने लगी थी और निकिता रोज उसकी कोई न कोई कमी निकलती और उसे और उसके आसपास के चीजों को गन्दा कहती। ऐसे ही कुछ दिनों तक चलता रहा।
ऐसे ही एक दिन जब निकिता ऑफिस में बैठी हुई उस महिला को देख रही थी कि तभी उसके बॉस निकिता के केबिन में आ जाते हैं। निकिता को बॉस के उसके केबिन में आने का बिल्क़ुल भी आभास नहीं होता क्यूंकि उसका पूरा ध्यान उस महिला को देखने और उसकी बुराई करने में ही था।
निकिता के इस तरह सब देख बॉस ने उसे टोका, “निकिता! आप बहार कहा देख रही हैं? और आपका ध्यान अपने कार्य में नहीं लग रहा है क्या? “
बॉस के आवाज़ सुनते ही निकिता चौंक गयी और बॉस को अपने केबिन में अपने अपने पास खड़ब देख अपनी सीट से हड़बड़ी में उठते हुए बोली, “कुछ नहीं सर! मैं तो सिर्फ सामने की बुल्डिंग में उस महिला को ही देख रही थी जो रोज गंदे कपडे सूखने अपने बिल्डिंग की छत पर आती है और उसके घर और खुद के कपडे भी कितने गंदे रहते हैं।”
फिर निकिता के बॉस ने उस महिला के कपडे, उसकी बिल्डिंग और उसके सुखाये गए कपड़ों को देखने लगे।
फिर निकिता बोलती है, “देखिये तो सर! वह महिला अपने कार्य के प्रति कितनी लापरवाह है। वह महिला जो भी कपडे धोकर सूखती है वही भी गंदे हो रहते हैं। उसके बिल्डिंग कितने गंदे हैं लगता है उसकी कभी सफाई हुई ही नहीं है, और तो और वह महिला जो कपडे पहनी हुयी है वो भी कितना गन्दा है। “
निकिता के बात सुनकर निकिता के बॉस उस महिला को ध्यान से देखने लगते हैं और फिर उस महिला को देख कर मुस्कुराने लगते हैं। अपने बॉस के मुस्कराहट देख कर निकिता को कुछ अजीब लगा।
निकिता को अपने बॉस की मुस्कराहट की वजह समझ में नहीं आया और वह बिना पूछे नहीं रह सकी। निकिता अपने बॉस से पूछती है, “सर आप इस गन्दी महिला को देख कर मुस्कुरा रहे हैं ? मैं इस महिला को कई दिनों से देख रही हूँ, मुझे तो समझ में ही नहीं आता कि यह महिला इतनी गन्दी और इतनी गन्दगी में कैसे रह लेती है?”
निकिता के पूछने पर बॉस फिर मुस्कुराते हैं और बोले, ” निकिता! आपके सवालों का जवाब मैं कल देता हूँ। जब कल आप इस महिला को कपडे सूखते हुए देखे तो मुझे जरूर बुला लेना।”
निकिता से बस इतना कह कर बॉस चले जातें हैं। अब बॉस में जाने के बाद निकिता सोचने लगी कि आखिर बॉस उसकी बातों को सुन कर क्यों मुस्कुरा रहे थे?
दूसरे दिन जब रोज की तरह निकिता अपने कार्य करने में रही थी फिर देखती है कि वह महिला अपने बिल्डिंग कि छत में कपडे सुखाने आ गई। निकिता की नजर व महिला पर पड़ती है और निकिता देखती है, अरे ये क्या? निकिता अचानक ही चौंक जाती है और सोचने लगती है, “यह महिला तो आज कितने साफ़ सुथरे कपडे पहन कर आयी है और कितने साफ़ सुथरे कपडे सूखा रही है। किरण फिर महिले के बिल्डिंग में ध्यान देती है और सोचती है कि उसकी बिल्डिंग भी आज बहुत साफ़ सुथरी दिखा रही है जैसे आज ही पेन्ट कराया गया हो। “
महिला के बारे में ये सब देख निकिता ने तुरंत अपने बॉस को बुलाया और महिला के बारे में वो सभी बातें बताई जो उसने देखा और आश्चर्यचकित होकर अपने बॉस से पूछने लगी, “सर आज मेरे सवाल का जवाब देने वाले थे लेकिन ये क्या सर आज तो सब कुछ साफ़ हो गया है, वो महिला साफ कपडे पहनी है, सुखाने के लिए जो कपडे हैं वो भी एकदम साफ़ है और तो और उसका घर भी अब पूरा साफ़ दिखाई दे रहा है, आखिर ऐसा क्या हुआ होगा?”
क्या थी? महिला की सच्चाई
निकिता की बातें सुनकर बॉस फिर से मुस्कुराते हैं और फिर बोले, “निकिता यह महिला रोज साफ़ ही कपडे सुखाती है, उस महिला के पहने हुए कपडे कभी गंदे थे ही नहीं, और उसकी बिल्डिंग पर भी पेन्ट लगा हुआ है वो बहुत दिनों से नया ही है। बस कल शाम होने के बाद आपके जाने के बाद सामने का शीशा जिससे आप उस महिला को देखती हैं, उस पर बहुत धूल लगा हुआ था और अब मैंने उसे अच्छे से साफ़ भी करवा दिया है। “
अपने बॉस की यह बात सुन कर निकिता को चेहरे में मुस्कराहट आ गयी लेकिन मन ही मन उसे अपने भूल का एहसास भी हो चूका था। उसके बाद निकिता ने फिर अपने बॉस और अपने सहकर्मियों से अपने किये गए व्यव्हार के लिए माफ़ी मांगती है और आगे से सबके प्रति और अपने जीवन में सिर्फ सकारात्मक सोच रखने का निश्चय करती है।
क्यों रखनी चाहिए हमेशा सकारात्मक सोच?
दोस्तों आपको हो सकता है इस कहानी के अंत को पढ़ कर आपके चेहरे पर भी मुस्कराहट आ गयी हो या हो सकता है आपको इस कहानी का अंत इतना मजेदार नहीं लगा हो जितना आप सबने सोचा होगा लेकिन यह छोटी से कहानी हमें बहुत कुछ सीखा देती है और वो यह है कि हमें हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।
इस दुनिया की सभी वस्तुएं और सभी लोग हमें वैसे ही दिखाई देती हैं जैसे हमारा उनके प्रति दृष्टिकोण होता है, जिस दृष्टिकोण से हम उसे देखते हैं वो हमें वैसे ही दिखाई देती है।
इसका मतलब यह है की अगर आप धुप में भी काळा रंग का चश्मा पहनते हैं तो, आपको दुनिया काली ही दिखाई देगी।
दुनिया में बहुत से लोग का दृष्टिकोण नकारात्मक होता है जिसके कारण से उन्हें दुनिया के हर इंसान और वास्तु में कोई न कोई कमी नजर आती है। लेकिन ये भी सच है कि हम सब में कुछ अच्छाइयां भी होती ही है। तो क्यों न हम सब अपनी अच्छाइयों की तरफ अपना ध्यान दें और उसी अच्छाई और सकारात्मक दृष्टिकोण से दुनिया को देखने की कोशिश करें?
अगर आप ऐसा सच में कर पाते हैं तो आप खुद को हमेशा सकारात्मक सोच रखने के अलावा और भी बहुत सी समस्याओं से बच सकते हैं।
अगर आपने किसी भी की सिर्फ बुराई ही देखने की आदत है तो आज ही अपनी ये आदत बदल डालिये और हमेशा दूसरों में अच्छाई देखने का प्रयास कीजिये।
इसके बारे में कबीरदास जी ने भी लिखा है:-
“बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोई।
जो मन खोजा अपना, तो मुझसे बुरा न कोई।। “
हमेशा दुसरो में बुरा देखने से पहले आप अपने अंदर देखिये आपके अंदर ही आपको कई बुराई मिल जाएगी। इसलिए पहले इसे दूर कीजिये और दूसरों में सिर्फ अच्छाई ढूंढने के कोशिश कीजिये।
अगर आपका Attitude Positive होगा तो आपको सभी में Positive ही Positive नजर आने लगेगा।
दोस्तों आपको Front Building – A Story Of Positivity In Hindi कैसी लगी यह कमेंट करके जरूर बताइयेगा और कोई इस ब्लॉग से सम्बंधित सुझाव हो तो उसे हमसे शेयर कीजिए और आर्टिकल अच्छा लगा तो इसे भी शेयर करना न भूले।
Nice positive story
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