विश्व के महासागरों की जानकारी | Information About Oceans Of The Earth

महासागर किसे कहते हैं?

पृथ्वी पर उपस्थित सबसे विस्तृत लवण युक्त समग्र जलराशि के समूह को महासागर(Ocean) कहा जाता है। महासागर पृथ्वी के तीन-चौथाई भाग में यानि लगभग 71 प्रतिशत हिस्से में फैला हुआ है। पृथ्वी पर उपस्थित कुल जल का 97 प्रतिशत हिस्सा खरे पानी के रूप में इन्हीं महासागरों में उपस्थित है। Ocean इतनी बड़े होते हैं कि महासागर में जाने पर चारो तरफ दूर-दूर तक सिर्फ पानी ही पानी दिखाई देता है। पृथ्वी में महासागरों और सागरों को मिला कर कुल क्षेत्रफल लगभग 367 मिलियन वर्ग किलोमीटर में है जो हमारे सौर मंडल में मंगल गृह के क्षेत्रफल का दो गुना और चाँद के क्षेत्रफल का लगभग नौ गुना है। पृथ्वी में उपस्थित बहुत जल के कारण ही पृथ्वी को “नीला ग्रह(Blue Planet)” कहा जाता है।पृथ्वी पर पांच महासागर हैं जिनके नाम सबसे बड़े महासागर से सबसे छोटे महासागर के क्रम में इस प्रकार हैं:-

महासागरों के प्रकार

प्रशांत महासागर(Pacific Ocean)

प्रशांत महासागर पृथ्वी का सबसे बड़ा और सबसे गहरा (Largest and Highest Depth) Ocean है जो अमेरिका और एशिया महाद्वीप को अलग करता है। यह महासागर पृथ्वी में 30 प्रतिशत भाग पर स्थित है तथा इसकी आकृति त्रिभुजाकार है। प्रशांत महासागर का कुल क्षेत्रफल 16,18,00,000  वर्ग किलोमीटर(6,36,34,000 वर्ग मील) है। प्रशांत महागसर फिलीपीन्स के तट से लेकर पनामा तक 9455 मील चौड़ा है और बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण अंटार्कटिका तक 10492 मील लम्बा है।

विश्व का सबसे गहरा गर्त(Trench)

इतने विशाल क्षेत्र में फैलाव होने के कारण यहाँ के निवासी, वनस्पति, पशु तथा रहने वाले मनुष्यों के रहन-सहन में काफी विभिन्नता देखने को मिलती है। प्रशांत की औसत गहराई 10994 मीटर है।  प्रशांत महा सागर में ही दुनिया का सबसे गहरा गर्त मेरियाना गर्त(Meriana Trench) स्थित है जिसकी गहराई 10984 मीटर है। 

प्रशांत महासागर का स्वरुप

आकृति: प्रशांत महासगार की आकृति त्रिभुजाकार है। इस महासागर के शीर्ष पर जलडमरूमध्य है, जो घोड़े के खुर कि आकृति का है और ज्वालामुखी पर्वतों और छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ बेसिन बनाता है। अमेरिका का पश्चिमी तट से अलास्का तक बर्फीले चट्टानों से युक्त है। उत्तर की ओर अल्यूशैन द्वीप का वृत्तखंड है, जो बेरिंग सागर तक साइबेरिया के समीप के भागों में चला गया है। प्रशांत महासागर के पश्चिमी किनारे से होकर कैमचैटका प्रायद्वीप के उत्तर और ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व की ओर फैले हुए हैं। ये भाग हिंदेशिया के वृत्तखंड से जुड़ जाते हैं।

प्रशांत महासागर की विशेषता

ज्वर भाटा: ज्वर भाटा यहाँ की सबसे मुख्या विशेषता में से है। यहाँ की यह मुख्य विशेषता है लेकिन यह नौकाओं की यात्रा को बहुत प्रभावित करता है। ज्वर भाटा का क्रम सभी तटों पर एक सामान नहीं होता और इसका प्रभाव कहीं अधिक ऊंचाई या कहीं बहुत काम होती रहती है।

क्या है रिंग ऑफ़ फायर?

धरातल: प्रशांत महासागर का धरातल प्रायः लगभग सभी जगह समतल है। इसके इसी सुविधा की दृष्टि से इसे पूर्वी और पश्चिमी के नाम से दो भागों में बांटा गया है। पूर्वी भाग में इसकी गहराई लगभग 18000 फुट है। तो कही-कही 13000 फुट है इसलिए इसे एल्बेट्रॉस पत्थर कहते हैं। जावरमुखी क्षेत्र:प्रशांत महासागर के उत्तर, पूर्व और पश्चिम से होता हुआ भूपटल का सबसे कमजोर हिस्सा गुजरता है। इसी कारण यहाँ पर अधिकतर भूकंप और ज्वालामुखियों पाए जाते हैं।

अभी भी यहाँ करीब 300 ऐसी ज्वालामुखी पर्वत हैं, जो निरंतर ही फूटते रहते हैं।इसलिए प्रशांत महासागर के तटीय क्षेत्रो को “रिंग्स को फायर” कहा जाता है। इस महासागर में स्थित छिटके नाम का द्वीप का उद्भव ज्वालामुखी और भूकंप के कारण ही हुआ है।

अटलांटिक महासागर(Atlantic Ocean)

अटलांटिक महासागर पृथ्वी का दूसरा सबसे बड़ा महासागर है। इसे “अंध महासागर” भी कहा जाता है। अटलांटिक महासागर का आकर अंग्रेजी में अक्षर S के आकर है।अटलांटिक महासागर यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप को अलग करती है। इस महासागर की चौड़ाई, लम्बाई के तुलना में बहुत कम है। अटलांटिक महासागर उत्तर में बेरिंग जलसंधि से लेकर दक्षिण में कोटसलैंड तक इसकी अधिकतम लम्बाई 12810 मील है और दक्षिण से दक्षिणी जार्जिया के दक्षिण में स्थित वाइडल सागर भी इसी का ही हिस्सा है। अटलांटिक महासागर के अंतर्गत आने वाले सागरों को छोड़ कर इसका 3,18,14,640 वर्ग मील है। अटलांटिक महासागर पृथ्वी का सबसे विशाल महासागर ना होते हुए भी इसमें विश्व का सबसे बड़ा (Largest Stream Flow System)प्रवाह क्षेत्र आता है।

अटलांटिक महासागर का का स्वरुप

आकृति: इसका आकार अंग्रेजी के अक्षर S के सामान है। अटलांटिक महासागर पूर्वी और पश्चिमी द्रोणियों में बंटा हुआ है। इन द्रोणियों की अधिकतम गहराई 16500 फुट है।  यह आइसलैंड के पास से आरम्भ होकर 55 डिग्री दक्षिण अक्षांश के लगभग स्थित बोवे द्वीप तक फैला है। इस महासागर के उत्तरी भाग में इस भाग को डॉल्फिन द्रोणी और दक्षिण में चैलेंजर द्रोणी कहा जाता है।

यही है रहस्यमय बरमूडा त्रिकोण(Barmuda Triangle)

बरमूडा त्रिकोण(Barmuda Triangle): आप सभी ने बरमूडा ट्रायंगल के बारे में तो समाचार या इंटरनेट में जरूर पढ़ा होगा वह बरमूडा त्रिकोण यही अटलांटिक महासागर में ही स्थित है। इसे मौत का त्रिकोण भी कहा जा सकता है क्यूंकि वर्ष 1854 से इस क्षेत्र में बहुत से ऐसे दुर्घटना घटित होते रहे हैं जिन्हे सुन कर आप सभी को बहुत आश्चर्य होगा। यहाँ अब तक कई विमान, पानी जहाज और व्यक्ति उस क्षेत्र से गुजरे लेकिन आश्चर्य रूप से सभी लापता हो गए और कई कोशिशों के बाद भी उनका आज तक कोई पता नहीं चल सका है। इस तरह की दुर्घटना इस क्षेत्र में पहली बार हुआ है ऐसा भी नहीं है बल्कि यहाँ कई बार हो चूका है। इस क्षेत्र में दुर्घटना होने का आलम यह है कि आज भी इसके आस-पास से गुजरने वाले जहाजों और विमानों के चालक दाल के सदस्यों और यात्रियों का मन दर से सिहर उठता है। यह त्रिकोण आज भी वैज्ञानिकों और खोजकर्ताओं के लिए कौतुहल और रहस्य का विषय बना हुआ है।

विश्व के सबसे प्रमुख प्रवाहें(Steams)

धाराएं: यहाँ विश्व के सबसे बड़े धारा प्रवाहें बहती हैं। लेकिन इसके आकार के कारण धाराओं के प्रवाह में कुछ अंतर जरूर रहता है। यहाँ उत्तरी अटलांटिक महासागर के धाराएं गल्फ स्ट्रीम, कैनेरी धारा, लेब्रेडोर, उत्तरी विषुवतीय धारा और उत्तरी अटलांटिक धारा प्रमुख है तो दक्षिण में पन्छवा प्रवाह, दक्षिणी विषुवतीय धारा, फाकलैंड धारा,ब्राजील धारा और बैंगुला धारा प्रमुख हैं।

हिन्द महासागर(Indian Ocean)

हिंद महासागर का नाम हिंदुस्तान(भारत) के नाम पर है जो विश्व में एकमात्र महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर रखा गया है। प्राचीन ग्रंथों में इसे ही “रत्नाकर” कहा गया है। हिन्द महासागर पृथ्वी का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है। यहाँ पृथ्वी पर उपस्थित पानी का 20 प्रतिशत हिस्सा मौजूद है। यह उत्तर में भारतीय उपमहाद्वीप से, पश्चिम में पूर्व अफ्रीका पूर्व में हिंदचीन, सुंडा द्वीप समूह और ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिण में दक्षिणध्रुवीय महासागर से घिरा है। इसका क्षेत्रफल 7.35 करोड़ वर्ग किलोमीटर है। हिन्द महासागर कि चौड़ाई 10000 किलोमीटर है जो अफ्रीका से ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी सिरों पर से है। इसका अधिकांश भाग दक्षिणी ध्रुव में स्थित है और यह साथ ही साथ अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर से जुड़ा हुआ है।

प्राचीन काल में महत्त्व

प्राचीन काल में हिन्द महासागर, समुद्र से व्यापार करने का सबसे प्रमुख परिवहन क्षेत्र है। हिन्द महासागर के समुद्री रास्तों को रणनीतिक रूप से  दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। क्यूंकि विश्व के तेल व्यापर का 80 प्रतिशत व्यापार हिन्द महासागर के माध्यम से ही होता है। विश्व की दो बड़ी नदियां ब्रम्हपुत्र और गंगा हिन्द महासागर में ही मिलती है। कहा जाता है हिन्द महासागर का नाम करीब 1 हजार साल पहले उन अरब पतियों से दिया जो उस समय भारत से व्यापर करते थे। उस समय में भारत के बंदरगाह बड़े , उन्नत और विकसित थे और व्यापारी पश्चिम के मध्य पूर्व देश और पूर्व में चीन तक व्यापार करते थे।

जलवायु: हिन्द महासागर मानसून जलवायु से भूमध्य रेखा के उत्तर में जलवायु को प्रभावित करती है।  यहाँ मई से अक्टूबर तक दक्षिण और पश्चिम की हवाएं प्रबल होती है जो अरब सागर में हिंसक मानसून भारत में बारिश लाता है।

अंटार्कटिका महासागर(Antarctica Ocean)

अंटार्कटिका महासागर पृथ्वी के सबसे दक्षिणतम में स्थित महासागर है इसका विस्तार 60 डिग्री दक्षिण अक्षांश से दक्षिण में है और यह महासागर पूरे अंटार्कटिका महाद्वीप को घेरे हुए है। यह हिन्द महासागर के बाद विश्व का चौथा सबसे बड़ा महासगार है। इस महासागरीय क्षेत्र में उत्तर की ओर बहने वाला ठंडा अंटार्कटिका जल, गर्म उप-अंटार्कटिका जल से मिलता है। भूगोलविज्ञानियों में मतभेद है कि दक्षिण प्रशांत महसागर, दक्षिणी अटलांटिक महासागर या हिन्द महासागर का दक्षिणी हिस्सा मानते हैं। हॉर्न अंतरीप के पास इस महासागर की गहराई 600 मील है। तो अमूळ्हस अंतरीप के पास  3600 मील है।  यहाँ अनेक प्लवी हिमखंड तैरते रहते हैं। इस महासागर के जल का सतह पर औसतन तापमान 29.8 फारेनहाइट रहता है और तल पर 32 से 35 डिग्री फैरेन्हाईट।

 

आर्कटिक महासागर(Arctic)

आर्कटिक महासागर पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में स्थित है और इसका अधिकतर विस्तार उत्तर ध्रुव में ही है। यहाँ पृथ्वी में पांच महासागरों में सबसे छोटा है। इस महासागर के क्षेत्र को आर्कटिक वृत्त के उत्तरी क्षेत्र के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। ध्रुवीय क्षेत्र होने के कारण ही यहाँ सबसे गर्म माह जुलाई का औसत तापमान 10 डिग्री से कम होता है और सबसे उत्तर वृत्त रेखा में इसकी सीमा समताप रेखा से लगभग मिलती है। विशाल बर्फ से ढके होने से इसमें वनस्पति विहीन पर्माफ्रॉस्ट(स्थायितुषार) उपस्थित है।

विस्तार: इस महासागर पूरी तरह से यूरेशिया से उत्तरी अमेरिका से घिरा हुआ है। यहाँ आंशिक रूप से बर्फ से ढंका रहता है और ठण्ड के दिनों में पूर्ण रूप से बर्फ से आच्छादित हो जाता है। इस महासागर के बर्फ के पिघलते और जमते रहने के कारण ही इसके पानी का तापमान और लवणता घटता और बढ़ता रहता है। ग्रीष्म ऋतु में यहाँ की 50 प्रतिशत बर्फ पिघल जाती है।

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