
प्राचीन समय में एक गांव में सत्यवान नाम का बनिए का लड़का निवास करता था। एक बार की बात है धन की खोज में उसने विदेश जाने का विचार बनाया। उसके पास एक मन भारी लोहे की तराजू को छोड़ कोई संपत्ति नहीं था, जिसे उसने एक महाजन के पास रख कर विदेश चला गया। बहुत दिनों बाद जब वह विदेश से वापस आया तो उसने उस महाजन के पास जाकर अपनी तराजू मांगी।
महाजन ने कहा – जो उसने मन भर लोहे की तराजू दी थी उसे तो चूहे ने खा लिया। महाजन के इस तर्ज जवाब से सत्यवान तुरंत समझ गया कि वह उसे तराजू को देना नहीं चाहता। कुछ देर सोचने के बाद सत्यवान के कहा – अब चूहों ने तराजू को खा लिया तो इसमें क्या कर सकते है, इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है।कुछ सोचने के बाद सत्यवान ने कहा – मैं नदी पर स्नान करने के लिए जा रहा हूँ, तो तुम मेरे साथ अपने पुत्र को भी भेज दो, वह भी साथ में नहा कर आ जायेगा।
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वह महाजन सत्यवान के इस तरह सज्जनता पूर्वक बात करने से बहुत प्रभावित हो गया था , इसलिए उसने तुरंत ही अपने पुत्र को उसके साथ स्नान के लिए नदी जाने के लिए भेज दिया, और दोनों नदी कि ओर चले गए।गांव से से कुछ दूर पहुँच कर सत्यवान ने महाजन के पुत्र को एक गुफा में बंद कर दिया और गुफा के द्वार पर एक बहुत बड़ा पत्थर रख दिया, जिससे वह गुफा से निकल कर कहीं जा ना सके।
सत्यवान उसे गुफा में बंद करने के पश्चात् जब वह महाजन के र आया तो महाजन ने सत्यवान से पूछा – सत्यवान मेरा लड़का तुम्हारे साथ स्नान के लिए गया था, वह कहाँ है? सत्यवान ने कहा – महाजन जी आपके पुत्र को तो चील उठा कर ले गया है।
महाजन – भला ये कैसे हो सकता है? चील कभी इतने बड़े बच्चे को उठा कर ले जा सकती है क्या भला ?
सत्यवान ने कहा – महानुभाव ! यदि इतने बड़े बच्चे को चील उठा कर नहीं ले सकता तो चूहे भी मन भर भारी तराजू को खा नहीं सकते। अगर तुम्हे तुम्हारा पुत्र चाहिए तो मुझे मेरा तराजू लौटा दो। दोनों इसी तरह विबाद करते-करते राजा के पास पहुँच गए। वहां पर राजा के सामने महाजन अपनी बात रखते हुए कहते हैं कि – इस सत्यवान ने मेरे बच्चे को चुरा लिया है।
राजा ने सत्यवान से कहा – तुम इनका लड़के को तुरंत ही इसे दे दो।
सत्यवान ने कहा – महाराज ! जब मैं और महाजन का पुत्र नदी की ओर स्नान के लिए जा रहे थे तो एक चील उसे उठा कर ले गया। राजा ने कहा – मुर्ख, क्या चील भी इतने बड़े बच्चे को कभी उठा कर ले जा सकता है क्या ?तब सत्यवान ने कहा – महाराज ! यदि मन भर भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं तो चील भी इतने बच्चे को उठा कर आने साथ ले जा सकता है।
सत्यवान ने राजा को अपनी सारी कहानी सुनायी। सच्चाई जान कर राजा उस महाजन पर बहुत क्रोधित हुए और राजा ने आदेश दिया – पहले तुम इसका तराजू इसे तुरंत लौटा दो, फिर यह तुम्हारा पुत्र तुम्हे लौटा देगा। इसके पश्चात् उस महाजन ने सत्यवान का तराजू उसे वापस लौटा दिया और उसे अपना पुत्र वापस मिल गया।
सीख – “इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि लालच बहुत बुरी चीज होती है। आप चालाकी करके कुछ समय के लिए ही किसी का फायदा उठा सकते हैं लेकिन इस तरह चालाकी करके प्राप्त हुयी चीज आपके पास ज्यादा समय के लिए नहीं रहता। अतः ईमानदार रहें और किसी चीज को प्राप्त करना है तो उसे प्राप्त करने के लिए मेहनत करें।”
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