The Brahmin’s wife And Loyal Mangoose Story In Hindi ब्राह्मण की पत्नी और नेवला की कहानी

Friends, all of you must have heard the Panchatantra Kio story of Pandit Vishnu Sharma, from which we get a lot of lessons and it is useful later in life ,that’s why today we have brought the story of the Brahmin’s wife and loyal mongoose story, which you all will enjoy reading.

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दोस्तों आप सबने पंडित विष्णु शर्मा जी के पंचतंत्र के कहानी के बारे में तो सुना ही होगा उनकी संस्कृत निति कथाओं में पंचतंत्र को सबसे प्रथम स्थान प्राप्त है।
उनकी कथा पंचतंत्र को पांच भागों में बांटा गया है। जो इस प्रकार हैं –
1. मित्रभेद (मित्रों के बीच मनमुटाव)
2. मित्रलाभ या मित्रसंप्राप्ति (मित्र की प्राप्ति और उसके लाभ)
3. काकोलुकियम (कौवे और उल्लुओं की कथा)
4. लब्धप्रणाश (हाथ में आयी चीज का निकल जाना, हानि होना)
5. अपरीक्षित कारक (बिना परखे कोई भी काम करने से पहले सोंचे)
इस भेदों के बारे में पंडित जी ने बहुत से नीति कथाओं की रचना किये जिससे हम अपने जीवन में लेकर इससे हम बहुत कुछ सिख सकते हैं और अपने बच्चों को भी इस सभी नैतिक कहानियों को बताकर उन नैतिक गुणों में वृद्धि कर सकते हैं। आज की कहानी में हम अपरीक्षित कारक के विषय में बताएंगे।

बहुत समय पहले की बात है एक गाओं में सारस्वत नाम का ब्राह्मण और अपनी पत्नी अहिल्या के साथ निवास करते थे। विवाह के कई सालों पश्चात् भी उनकी कोई संतान नहीं हुई थी, इसी कारण दोनों अत्यधिक चिंतित रहते थे। समय ऐसे ही बीतने लगा और ईश्वर के कृपा से कुछ वर्षों पश्चात् उनके घर एक पुत्र का जन्म हुआ, इतने वर्षो पश्चात् पुत्र की प्राप्ति होने पर दोनों बहुत प्रसन्न थे। ब्राह्मण की पत्नी अहिल्या अपने पुत्र को बहुत स्नेह करती थी।

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एक दिन की बात है ब्राह्मण की पत्नी अहिल्या को अपने घर के पास ही नेवले का बच्चा मिला, वह बच्चा बहुत ही छोटा था। नेवले के इतने छोटे बच्चे को देख कर अहिल्या को उस पर दया आ गयी और उसने उसे अपने घर ले आयी और उसे भी अपने बच्चे की तरह ही पालन-पोषण करने लगी।

ब्राह्मण की पत्नी अहिल्या ब्राम्हण के जाने के बाद बच्चे और नेवले को घर में अकेला छोड़ स्वयं काम में चली जाती थी। दोनों की अनुपस्थिति में नेवल पुत्र का ध्यान रखता था और इस तरह ब्राह्मण के पुत्र और नेवले में बहुत स्नेह हो गया। दोनों के बीच इतना स्नेह देख अहिल्या बहुत ही प्रसन्ना थी। एक बार कि बात है ब्राह्मण की पत्नी के मन में यह बात आ गयी कि यह नेवला मेरे बच्चे को कहीं कोई नुकसान ना पहुंचा दे, आखिर जानवर ही है इसका कोई भरोसा नहीं है। यूँ ही समय बीतता चला गया और ब्राह्मण के पुत्र और नेवले के बीच में स्नेह प्यार बहुत बढ़ गया।

एक दिन की बात है जब ब्राम्हण काम पर गया तो उसके जाने के बाद ब्राह्मण की पत्नी अहिल्या भी अपने पुत्र और नेवले को घर में अकेला छोड़ काम पर चली गयी।इसी समय उनके घर में एक सांप घुस गया। जिस समय वह सांप घर में घुसा उस समय ब्राह्मण पुत्र आराम से गढ़ी नींद में सो रहा था और नेवला उसका ध्यान रखते हुए पास में ही बैठा था।

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सांप तेजी से बच्चे की तरह आ रहा था और पास में ही बैठे नेवले ने उस सांप को जैसे ही देखा वह सतर्क हो गया। नेवला फुर्ती से उस सांप की तरह लपकता है और दोनों में भयंकर लड़ाई होने शुरू हो जाती है। लड़ाई करते-करते अंत में सांप थक जाता है और नेवल उसे मार कर बच्चे के प्राण बचा लेता है और सांप को मरने के बाद नेवला आंगन में जाकर आराम से बैठ जाता है।

कुछ समय बाद जब ब्राह्मण की पत्नी अहिल्या घर वापस लौटती है और जैसे ही घर में अंदर प्रवेश करती है तो नेवले को देखती है, नेवले का मुँह खून से सना हुआ था। यह देख अहिल्या बहुत डर जाती है और गुस्से से लाल हो जाती है और मन में सोचने लगती है कि कहीं इस नेवले ने मेरे पुत्र को खा तो नहीं लिया?, यही सोचते सोचतेब्राह्मण की पत्नी घर पर रखी लाठी उठती है और नेवले को लाठी से पीट पीटकर मार देती है।

अहिल्या नेवले को मारने के बाद जब कमरे में तेजी से दौड़े-दौड़े प्रवेश करती है तो देखती है उसका पुत्र खेल रहा है और पास में ही एक सांप मरा पड़ा है।जैसे ही अहिल्या मरे हुए सांप को देखती है तो उसका मन कचौट जाता है उसे बहुत पछतावा होता है। वह भी नेवले से बहुत स्नेह करती थी लेकिन ये क्या
बिना सोचे समझे देखे अपने पुत्र प्रेम में क्रोध में आकर नेवले को मार दिया। इस बात को सोचते हुए ब्राह्मण की पत्नी अहिल्या रोने लगती है।

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उसी समय ब्राह्मण घर लौटता है जैसे ही अंदर आता है, अपनी पत्नी की रोने की आवाज सुनकर कमरे में आकर रोने का कारण पूछने लगता है।तब अहिल्या उसे सारा वृत्तांत सुनाती है अपनी पत्नी की बात सुन कर ब्राह्मण को भी बहुत दुःख होता है। दुखी मन से ब्राह्मण कहता है – “तुम्हे बिना किसी चीज को परखे हड़बड़ी में किये गए काम के कारण ही यह दंड मिला।”

सीख :- दोस्तों आप सबने इस कहानी को ध्यान से पढ़ा होगा और उम्मीद है आप सभी को इससे क्या शिक्षा मिलती है यह भी समझ में आ गया होगा।इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जीवन में कोई भी काम बिना सोचे बिना विचार किये गुस्से में आकर हड़बड़ी में नहीं करना चाहिए।जीवन में हमारे साथ कई बार ऐसा होता है कि जो सामने देखते हैं वो सच नहीं होता इसलिए हमें सच्चाई को पहले परख ले फिर कोई काम करने का निर्णय करें।

दोस्तों आज की पंडित विष्णु शर्मा जी की पंचतंत्र की कहानी “The Brahmin And Loyal Mangoose Story In Hindi” आप सबको कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताएं।यदि इससे सम्बंधित कोई Suggestion हैं तो उसे भी जरूर बताये, अगर यह पंचतंत्र की कहानी “ब्राह्मण की पत्नी और नेवला की कहानी” अच्छी लगी तो इसे शेयर भी करिये। धन्यवाद 

 

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