सकारात्मक सोच की शक्ति
The Power of The Positive Thinking
सकारात्मक सोच की शक्ति
जब हम जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हैं, तो हमें यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमारी सोच ही हमारे जीवन की दिशा तय करती है। सकारात्मक सोच हमारे जीवन को एक नई ऊर्जा प्रदान करती है और हमें उसकी असीम संभावनाओं को देखने की क्षमता प्रदान करती है।
सकारात्मकता और सेहत:
अनेक अध्ययनों ने इसे साबित किया है कि सकारात्मक सोच रखने वाले लोग अधिक स्वस्थ रहते हैं। उनमें रोग प्रतिरोधक शक्ति अधिक होती है और वे जल्दी से बीमार नहीं होते।
जीवन में समझौता नहीं:
सकारात्मक सोच रखने वाले लोग समस्याओं को चुनौतियों के रूप में देखते हैं और उन्हें मात देने की पूरी कोशिश करते हैं।
सकारात्मक सोच और संबंध:
जब आप सकारात्मकता में विश्वास रखते हैं, तो आपके आसपास के लोग भी आपसे प्रभावित होते हैं। यह संबंधों में सकारात्मक परिवर्तन लाता है।
काम में प्रगति:
सकारात्मक सोच व्यक्तियों में आत्म-विश्वास बढ़ाती है जो उन्हें उनके काम में प्रगति की दिशा में मार्गदर्शन करती है।
अंत में, सकारात्मक सोच की शक्ति अद्भुत है। यह हमें जीवन की सभी स्थितियों में संघर्ष करने की शक्ति प्रदान करती है और हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाने में मदद करती है। जीवन में सकारात्मकता और उम्मीद बनाए रखना ही असली सफलता है।
यह सच है कि जैसा हम अपने बारे में सोचने लगते हैं वैसे ही हम बनने लगते हैं और बन भी जातें हैं।
हमारा दिमाग जैसे भी बात सोचता है वैसे ही हम भी प्रतिक्रिया करने लगते हैं। अगर आप सोचते हो कि आप सफल हो सकते हो तो आप उसके लिए जी जान से लग जाते हो और आपके दिमाग में सिर्फ ये बात होती है कि आपको सिर्फ सफल होना है। आपके अंदर सकरामत्मक भाव पैदा होती है और आखिर में आप सफल हो ही जाते हो। उसी प्रकार अगर आप सोचते हो कि आप सफल नहीं हो सकते तो आपके दिमाग में नकारात्मक भाव पैदा होती है, जो आपकी सफलता ले लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार होता है।क्यूंकि आपकी सफलता कि Journey आपकी सोच से ही शुरू होती है और आपकी सोच पर ही ख़त्म।
एक शोध (Research) के द्वारा यह जानकारी मिली है कि इंसान के दिमाग में 24 घंटे में 70000 विचार आते हैं जिनमे से 70 फीसदी नकारात्मक ही होतें हैं।और यह जानकर आपको हैरानी होगी कि जो विचार आपको आज आएं हैं उनके से 90 % दूसरे दिन यानि कल भी फिर से दोहराया जाता है। इससे आप समझ सकते हैं कि अगर आपकी सोच सकारात्मक है तो वो कल भी सकारात्मक होगा और आने वाले कई दिनों तक आप ऐसे ही सकारात्मक रहेंगे। इसी प्रकार यदि आप नकारात्मक सोचते हैं तो आप कई दिनों तक नकारात्मक ही बने रहेंगे, इसलिए हमे सिर्फ सकारात्मक सोच ही रखना चाहिए और जितना हो सके नकारात्मक सोच से दूर रहना चाहिए।
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सामान्य और सीधी सी बात है अगर आप किसी कार्य को सकारात्मक सोच के साथ करने की ठान लेते हो तो आपका परिणाम भी सकारात्मक रहता हैं और नकारात्मक सोच के साथ शुरू किये कार्य कर परिणाम भी नकारात्मक होता है।
सकारात्मक सोच और नकारात्मक सोच को हम एक उदाहरण लेकर समझ सकते हैं:-
एक बार एक कंपनी के बॉस ने दो मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव की भर्ती की। कंपनी का कार्य जूतें बनाने का था तो उन्होंने अपने कंपनी के जूतों प्रचार करने के लिए दोनों को दो अलग-अलग एक द्वीप में भेजा में भेजा जिससे कंपनी का व्यवसाय अधिक हो सके।
दो दिनों तक द्वीप में रहने के बाद और लोगो से मिलकर जूतों की मार्केटिंग करने के बाद दोनों ने अपना-अपना काम की जानकारी(Report) बनाकर बॉस को मेल कर दिया। उसमे से एक की कि रिपोर्ट जैसे ही बॉस ने देखा उसी टाइम उसे रिप्लाई किया कि आपको जॉब से निकला जाता है, कल से काम पर आने कि जरूरत नहीं है।
जब बॉस ने दूसरे कि रिपोर्ट पढ़ी तो रिप्लाई किया Congratualations आज से आप Marketting Head हैं और आपकी सैलरी भी दुगुना किया जाता है।
अब आपके मन में एक सवाल होगा कि उन्होंने ऐसा क्या रिपोर्ट भेजा कि एक को जॉब से निकाल दिया और दूसरे कि जॉब भी पक्की हो गयी और प्रमोशन भी मिल गया??? चलिए आपको बताते हैं कि उस रिपोर्ट में क्या लिखा था।
पहले वाले को जॉब से निकाल दिया गया उसने अपने रिपोर्ट में जानकारी लिखा था कि “सर जब मैं इस द्वीप पर पहुंचा तो पता चला कि यहाँ पर कोई इंसान जूतें पहनता ही नहीं और ना ही उन्हें जूतों के बारे में कोई जानकारी है कि जूतें क्यों और क्या के लिए पहना जाता है, इसलिए माफ़ कीजियेगा यहाँ पर जूतें बेचना असंभव है। “
पहले वाले के इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद बॉस ने लिखा – तुम्हे जूतें बेचने के लिए भर्ती किया था और जो काम करने के लिए भर्ती किये गए उसे ही नहीं कर सकते तो तुम कंपनी के किसी काम के नहीं और इसलिए तुम्हे जॉब से निकला जाता है।
दूसरे वाले जिसकी जॉब पक्की हुयी थी और प्रमोशन भी मिला उसने अपनी रिपोर्ट में लिखा था “सर मुझे यह बात बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि यहाँ पर कोई भी जूतें नहीं पहनता इसलिए मुझे लगता है कि हमारी कंपनी के जूतें यहाँ बहुत बिकेंगी और कंपनी को बहुत फायदा होगा। “
इन दोनों के रिपोर्ट के बारे में जानने के बाद आपने इस बात पर ध्यान दिया होगा कि उस द्वीप में कोई जूतें नहीं पहनता लेकिन एक ही स्थिति के होते हुए भी उन दोनों के सोच में कितनी अंतर था एक नकारात्मक सोच रखते हुए अपना जॉब खो दिया और दूसरा सकारात्मक सोच के साथ प्रमोशन ले लिया।
अब यहाँ पर आप देख ही सकते हैं कि सोच की शक्ति क्या होती है। दोनों ने असल में रिपोर्ट अपने काम की नहीं अपनी सोच कि दी है जिसके कारण ही उनके जॉब को लेकर रिजल्ट अच्छा और बुरा आया। अभी सिर्फ आपने सोचने बस से ही देखा है कि क्या हुआ ? सोचिये आगे अगर अगर सकारात्मक सोच के साथ अपना काम करते हैं तो क्या होगा ?
इसलिए यह कहा गया है कि हमारी यात्रा हमारी ही सोच से शुरू होती है और हमारी ही सोच से ख़त्म।
अगर हमारी सोच भी सकारात्मक है तो हमारी लाइफ भी सकारात्मक होगी और लाइफ में हम सफल भी होंगे। और नकारात्मक सोच के साथ हमारी लाइफ भी नकारात्मकता कि ओर जाएगी और असफल हो जायेंगे।
इसके लिए महात्मा गाँधी जी ने एक बात कही है :-
“आदमी अपनी सोच से बनता है, वो जैसा अपने बारे में सोचता है वो वैसा ही बन जाता है। “
इसलिए हमें अपने लाइफ में सिर्फ सकारात्मक सोच ही रखना चाहिए जिससे हम अपने कार्य में बह सकारात्मकता ला सके हैं अपने काम में, अपने जीवन में सफल हो सकें। अपनी सोच बदलिए निश्चित ही आप अपने लाइफ में अवश्य सफल होंगे…