A Mysterious Vally Shangri-La Ghati | शांगरी-ला एक रहस्यमयी घाटी, दूसरा “बरमूडा ट्राइंगल”
दोस्तों आज हम जो लेख आपके लिए लाएं हैं उसके बारे में आप में में शायद किसी ने सुना होगा । हम यहाँ बात करने वाले हैं एक ऐसी के बारे में जिसके बारे में आज तक कोई न पता लगा सका है और ना ही वहां तक पहुँच पाया है। यहाँ पर हम जो जानकारी बताने वाले हैं वह भी एक रिपोर्ट के अनुसार है जो वायुमंडल के चौथे आयाम यानी समय (Time)से प्रभावित जगहों में माना जाता है ।

दोस्तों आपने कई घाटियों के बारे इ सुना होगा और देखे और गए भी होंगे ।लेकिन यह घाटी आज तक के जितने भी घाटी आपने देखे और सुने होंगे उससे सबसे ज्यादा अलग है जहाँ पर मन की शक्ति एक सीमा तक बढ़ जाती है , जहाँ पर समय का प्रभाव ही ख़त्म हो जाता है और प्राण और विचार की शक्ति अद्भुत रूप से बढ़ जाती है। दोस्तों हम यहाँ बात कर रहे हैं शांगरी ला घाटी (Shangri-La Ghati) की जिसे दुनिया का दूसरा बरमूडा ट्रायंगल(Second Barmuda Traingle of The World) कहा जाता है ।
क्या है ये शांगरी ला घाटी What is Shangri La Ghati?
दोस्तों धरती में ऐसी बहुत साड़ी रहस्यमयी जगहें हैं जिनके बारे में या तो हम जानते ही नहीं और यदि हम जानते भी हैं तो उसके बारे में सही जानकारी नहीं होती है । एक ऐसी ही अद्भुत और रहस्यमयी घाटी है शांगरी ला घाटी एक ऐसी घाटी जहाँ समय का प्रभाव थम जाता है और इंसान बूढ़े नहीं होते और इंसान जब तक चाहें जीवित रह सकते हैं। इसलिए इस धरती का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र (Earth’s Spiritual Control Center) भी कहा जाता है।



कहाँ है शांगरी ला घाटी? Where is Shangri La Ghati?
यूँ तो शांगरी ला घाटी का पता आज तक कोई भी लगा नहीं पाया लेकिन मन जाता है यह अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच स्थित है । दुनिया भर के लोग इस घाटी के बारे में पता करने की कोशिश कर चुके हैं लेकिन उनमे से कोई भी इसमें सफल नहीं हो पाया है । कहा जाता है जो भी इस घाटी की खोज या पता लगाने में जाता है वह कभी लौट कर नहीं आता । शायद यही वजह है की आज तक यह घाटी दुनियाभर के लोगों के लिए रहस्य का विषय आजतक बना हुआ है ।
वाराणसी के तंत्र विद्वान अरुण शर्मा ने अपनी किताब “तिब्बत की वह रहस्यमयी घाटी” में शांगरी ला घाटी का उल्लेख किया है । उनके अनुसार उन्हें किसी युत्सुंग (Utsung)नाम के लामा ने वाराणसी के तंत्र विद्वान अरुण शर्मा को बताया है कि शांगरी ला घाटी में काल/समय का प्रभाव शुन्य हो जाता है और वहां मन विचार और प्राण की शक्ति एक विशेष सीमा तक बढ़ जाती है । अगर कोई इंसान वहां चला भी जाये तो वहां से कभी लौट कर नहीं आ पता।यह जानकारी युत्सुंग (Utsung) नाम के लामा द्वारा बताई गयी जानकारी के आधार पर है जो खुद एक बार संयोग से शांगरी ला घाटी से होकर आ चुके हैं ।
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क्यों है शांगरी ला दुनिया से परे? / Why is Shangri La beyond the world?
तिब्बती भाषा की किताब काल विज्ञान में भी शांगरी ला घाटी के बारे में जानकारी मिलती है जिसमे लिखा है कि दुनिया की हर वस्तु देश , काल और निमित्त से बंधा हुआ है लेकिन शांगरी ला घाटी में काल का कोई प्रभाव ही नहीं है ,इस जगह में मानसिक चेतना असीमित रूप से बढ़ जाती है , इंसान हर कार्य करने इ समर्थ हो जाता है जो पूरी तरह इंसान के लिए असंभव है। इसलिए इस धरती का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र(Earth’s Spiritual Control Center) भी कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि शांगरी ला दूसरे ब्रम्हांड में जाने का रास्ता है।



आध्यात्म क्षेत्र तंत्र ज्ञान या तंत्र साधना से जुड़े हुए लोगों के लिए भारत के साथ-साथ यहाँ दुनिया भर में मशहूर है ।युत्सुंग वहां खुद जाने का दावा करते हैं उनका कहना है वहां ना तो सूर्य का प्रकाश था और ना ही चाँद की रौशनी। जहाँ एक तरफ तो वातावरण में एक अलौकिक प्रकाश फैला हुआ था तो दूसरी तरफ शांगरी ला की रहस्यमयी सुनसान और शांत घाटी ।
युत्सुंग लामा ने तंत्र विद्वान अरुण शर्मा को बताया है वहां एक तरफ आश्रमों मठों और कई प्रकार के आकृति वाले मंदिर थे और दूसरी तरफ शांगरी की सुनसान घाटी । यहाँ पर साधना के तीन केंद्र प्रसिद्द हैं जिसमे पहला ज्ञानगंज मठ , दूसरा सिद्ध विज्ञान आश्रम और तीसरा योग सिद्धाश्रम । शांगरी ला घाटी को सिद्धाश्रम भी कहते हैं।



सिद्धाश्रम का वर्णन महाभारत , ऋषि वाल्मीकि के रामायण और वेदों में भी है । सिद्धाश्रम का उल्लेख प्रसिद्द लेखक जेम्स हिल्टन (James Hilton) ने अपनी किताब “लॉस्ट हॉरिजोन” (Lost Horizon) में भी किया है और लिखा है कि वहां के लोग कई वर्षों तक जीवित रहते हैं जहाँ समय का कोई असर नहीं है । हालाँकि उनके अनुसार यह एक काल्पनिक जगह है।
दुनियाभर के लोगो द्वारा शांगरी ला घाटी को खोजने के कोशिश की गयी लेकिन किसी को भी इसमें सफलता हाथ नहीं लगी और इसे ढूढ़ने में लगे कई लोग तो हमेशा-हमेशा के लिए गायब हो गए और कभी लौटे ही नही।। यह भी माना जाता है कि चीनी सेना लामा युत्सुंग का पीछा करते-करते इस घाटी के पास आ गयी लेकिन फिर भी शांगरी ला घाटी (Shangri-La Ghati) का पता नहीं लगा सकी।
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भारतीय संतो को थी शांगरी ला की जानकारी / Indian Saints Knew About Shangri La
अनादि काल से ही हिमालय के सम्पूर्ण क्षेत्र में भारतीय संतो का गमन विचरण होता रहा है | प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल में हमारे देश के महात्माओं स्वामी लोकनाथ ब्रम्हचारी लाल मिस्त्री सदानंद सरस्वती प्रभुपाद , स्वामी विशुद्धानन्द आदि को शगरी ला घाटी यानी की सिद्धाश्रम के बारे में पूरी तरह विस्तार से जानकारी था ।संत श्री परमहंद योगानंद की प्रसिद्द किताब “एन ऑटोबायोग्राफी ऑफ़ योगी” (An Autobigraphy of Yogi) में शांगरी ला घाटी में शम्भाला को महावतार बाबाजी का स्थायी निवास बताया गया है । इसमें उन्होंने शांगरी ला का ऐसा जीवन वर्णन किया है जैसे वे खुद सिद्धाश्रम को अपनी आँखों से देखे हों ।
तंत्र साधना मार्ग के प्रसिद्द गुरु स्वर्गीय नारायण दत्त श्रीमाली के अनुसार ” सिद्धाश्रम एक ऐसा संसार है जिसमे परम शक्तिशाली योगियों सहित सतयुग , त्रेतायुग और द्वापर युग के कई महान विभूतियों और ऋषि जिसमे श्रीराम, श्रीकृष्ण, विश्वामित्र, वशिष्ठ कृपाचार्य आदि सिद्धाश्रम में हजारों वर्षों से शरीर में जीवित समाधी में लीन हैं।(यह भाग जी न्यूज के लेख से लिया गया है)
प्राचीन ग्रंथों में वर्णन / Description in Ancient Texts



शांगरी ला को स्वर्ग का द्वार भी कहते हैं। महाभारत में जब पांडवों का जवान काल समाप्त हो जाता है तो वे सभी सशरीर हिमालय की तरफ प्रस्थान करते हैं। लेकिन मार्ग में ही द्रोपती सहित सभी बर्फ में मृत्यु को प्राप्त होते केवल युधिष्ठिर ही अपने धर्म रूपी कुत्ते के साथ स्वर्ग तक पहुँच पाते हैं।हिमालय में स्थित यह स्वर्ग यही सिद्धाश्रम या ज्ञानगंज या शम्भाला या शांगरी ला ही है, जहाँ पर सिर्फ युधिष्ठिर जैसे ज्ञानवान ही प्रवेश कर सकते थे।(यह भाग जी न्यूज के लेख से लिया गया है)
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