भीमकुण्ड का अनसुलझा रहस्य – जहाँ पानी कभी नहीं सूखता | An Unlsolved Mystery Of Bhimkund – Where Water Never Dries Up!
भारत एक ऐसा देश है जो अपनी अद्भुत कला, संस्कृति, धर्म, अध्यात्म के साथ-साथ अपनी अलग और अनूठी भौगोलिक संरचना के लिए पुरे विश्व में प्रसिद्ध है, जो अपने इतिहास के साथ कई ऐसे रहस्य समाये हुए है जो आज तक आधुनिक विज्ञान के लिए अछूता है।दोस्तों आपने पानी के कुंड के बारे में सुना होगा और कई जगह पर पानी का कुंड देखा भी होगा। लेकिन आज जिस कुंड के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वह कुंड और दूसरे कुंडों से कुछ अलग है।
इस कुंड का नाम है भीमकुण्ड (Bhimkund) है जो मध्यप्रदेश के छत्तरपुर जिले के बाजना (Bajna) नाम के गाँव में हैं। जो छत्तरपुर से करीब 77 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। इस कुंड के कई ऐसे रहस्य हैं जो आज तक अनसुलझी ही हैं। तो चलिए दोस्तों इस भीमकुण्ड के रहस्य के बारे में और अधिक जानते हैं।
भीमकुण्ड – एक रहस्य / Bhimkund – A Mystery
दोस्तों हमारे देश में कई सारी ऐसी जगहें हैं जो अपने आप में ही एक रहस्य है जिनके बारे में आज लोगों ने विज्ञान के प्रयोग से कई रहस्यों से पर्दा उठाया है। लेकिन उनमे से कई जगह ऐसी भी हैं जो आज भी लोगों के साथ-साथ विज्ञान के लिए भी कौतुहल का विषय बना हुआ है, जिसके रहस्यों बारे में विज्ञान के द्वारा भी पता नहीं लगाया जा सका है कि उनके रहस्य क्या है क्यों हैं? इन्ही रहस्यमयी जगहों में से एक हैं “भीमकुण्ड”।
भीमकुण्ड को नीलकुण्ड के नाम से भी जाना जाता है जो चट्टानों के बीच गुफा के बीचों बीच बना हुआ है। प्राचीन भारत में यह तप और साधना का एक प्रमुख केंद्र माना जाता हैं जहाँ भारत के ऋषि-मुनियों के द्वारा तप-साधना किया जाता था। जैसे कि नाम से ही ज्ञात हो होता है कि इसका संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है यह भीमकुण्ड भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक हैं। भीमकुण्ड का सबसे बड़ा रहस्य यही है कि बड़े बड़े वैज्ञानिको द्वारा भी कई कोशिशों के बाद भी आज तक इसकी गहराई का पता नहीं लगाया जा सका है। भीमकुण्ड के विषय में महाभारत काल की एक पौराणिक कथा जुडी हुयी है।
पौराणिक कथा के अनुसार भीमकुण्ड का इतिहास / History of Bhimkund As Per Mythology
भीमकुंड के बारे में महाभारत की कथा / Story Of Mahabharat About Bhimkund
भीमकुण्ड की कहानी महाभारत काल से जुडी है, कहा जाता है कि जब पांडव, कौरवों से हारने के बाद अज्ञातवास के लिए निकल पड़े। जब पांडव जंगल से गुजर रहे थे तो रास्ते में द्रोपती को प्यास लगी तब पांचों पांडवों ने मिलकर पानी के स्रोत की खोज में लग गए ताकि द्रोपती की प्यास भुझायी जा सके। लेकिन चरों तरफ पहाड़ और घना जंगल होने के कारण उन्हें पानी का एक भी स्रोत नहीं मिला और जैसे जैसे समय बीत रहा था द्रोपती की प्यास से बुरा हाल हो रहा था।
काफी मशक्कत करने के बाद भी पानी का स्रोत नहीं मिलने पर जब कोई भी उपाय ही सुझा तो भीम ने आवेश में आकर गुस्से से जमीन पर जोर से प्रहार किया जिसके पश्चात् जमीन की सतह पर एक कुंड निर्मित हो गया और उससे पानी निकलने लगा।इसके बाद द्रोपती और पांचों पांडवों ने इस कुंड के जल से अपनी प्यास बुझाई और आगे की यात्रा पर निकल गए इसी कारण से इस कुंड का नाम भीमकुण्ड पड़ा।
भीमकुंड के बारे में नारद की कथा / Story Of Narad About Bhimkund
भीमकुण्ड के बारे में एक और पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि जब नारद आकाश मार्ग से गमन कर रहे थे तभी उन्हें पृथ्वी पर एक महिला और पुरुष घायल अवस्था में मिले। तब नारद उनके पास जाकर उनके इस दुर्दशा के बारे में पूछे तो उन्होंने बताया कि वे संगीत के राग और रागिनी हैं , और वे तभी स्वस्थ हो सकते हैं जब संगीत कला में पारंगत कोई संगीतज्ञ साम राग गा कर सुनाये। नारद जी इस कला में पारंगत थे उन्होंने बिना विलम्ब किये ही साम राग गाना प्रारम्भ कर दिए और इतना अच्छे सुर में गाये की सभी देवता प्रसन्ना होकर नृत्य करने लगे। इस राग को सुनकर भगवन विष्णु इतने मंत्रमुग्ध हो गए कि वे एक जलकुंड का रूप में बन गए, इसी कारण से यह कुंड नीला होगा गया इसलिए इसे नीलकुण्ड(Neelkund) या नारद कुंड(Narad Kund)भी कहा जाता है।
आधुनिक विज्ञान के लिए भी रहस्य का विषय / A Subject of Mystery Even for Modern Science
भीमकुण्ड आज के आधुनिक विज्ञान के लिए भी एक रहस्य का विषय है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भीमकुण्ड के कारण उन्हें कई प्राकृतिक आपदा जैसे सुनामी (Tsunami) और भूकंप (Earthquake) जैसे का पता पहले ही चल जाता है जिससे कई लोगों की जान को बचाया जा सकता है यही वजह है कि भीमकुण्ड के बारे में रिसर्च (Research) किया जा रहा है। भीमकुण्ड समुद्र की सतह से बहुत दूर होने के बाद भी इसके जल का स्टार अचानक बढ़ कैसे जाता है क्या इसका समुद्र से कोई संबंध है, या फिर इसका सुनामी (Tsunami) और भूकंप(Earthquake) से क्या संबंध है जिसकाप्रभाव इस कुंड के जल पर पड़ता है।
जब इस कुंड के अद्भुत रहस्य के बारे में डिस्कवरी चैनल (Discovery Channel) वालों को पता चला तो उन्होंने अपनी टीम को इसके बारे में अधिक जानकारी पता करने के लिए भेजा। उनके टीम के गोताखोर के द्वाराइस कुंड के अंदर जाकर इसकी गहराई जानने की बहुत कोशिश किया गया लेकिन इसमें वे सफल नहीं हुए। लेकिन इन कुंड में उन्हें करीब 80 फ़ीट की गहराई में कई अजीब और अलग तरह के जीव और आश्चर्य में डालने वाली चीजें मिली , उन्हें वहां पर 23 अलग-अलग जल धाराएं मिली जो सम्भवतः समुद्र से जुडी हुयी हैं। साथ में उन्हें 2 और कुंड मिले जिसमे एक कुंड से जल बहार निकल रहा है और दूसरे कुंड में भरते जा रहा है।
शासन द्वारा भी इसकी गहराई का पता लगाने के लिए भीमकुण्ड के जल को पंप (Water Pump) की सहायता से खाली करने की कोशिश की गई और बहुत दिनों तक इसमें से पानी निकला गया लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इतने दिन तक इसके पानी को निकलने के बाद भी इसके जल स्तर में कोई कमी नहीं आयी और अंत में इसकी गहराई और अंतिम सतह का पता नहीं लगाया जा सका।
भीमकुण्ड की अजब-गजब रहस्य की बातें / Amazing Facts and Secrets of Bhimkund
भीमकुण्ड के कई ऐसे रहस्य हैं जिनके बारे में विज्ञान भी पता लगाने में असफल है। इसका जल हमेशा साफ़ और स्वच्छ रहता है इस वजह से इसमें काफी गहराई तक की चीजों को सतह से ही साफ़-साफ़ देखा जा सकता है। इसके अलावा इसके और भी रहस्य की बातें हैं जो इस प्रकार है:-
भीमकुण्ड चट्टानों के बीच में एक गुफा के अंदर है इसका पानी अत्यधिक साफ़-सुथरा और स्वच्छ है कि आप कुंड के बाहर से ही कुंड में बहुत गहराई तक की चीजों को साफ-साफ देख सकते हैं।
इस का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि वैज्ञानिकों और गोताखोरों द्वारा कितने कोशिशों के बाद भी इसकी गहराई का पता लगाने में वे सफल नहीं हुए।
इसके सबसे बड़े रहस्यों में से एक यह भी है कि जब कभी नदी या तालाब में किसी की डूब जाने से मृत्यु हो जाती है तो उसका मृत शरीर (Dead Body) कुछ समय बाद पानी के ऊपर आकर तैरने लगती है लेकिन भीमकुण्ड में किसी के डूबने पर उसका शरीर कभी भी बहार नहीं आता और ना ही ढूढ़ने से मिलता है।
भीमकुण्ड में जल का स्तर किसी प्राकृतिक आपदा या संकट जैसे सुनामी या भूकंप के आने से पहले ही अचानक बढ़ने लगता है , इसके कारण स्थानीय लोगों को आपदा के बारे में जानकारी पहले ही मिल जाती है। वैज्ञानिकों द्वाराकई रिसर्च करने के बाद भी इसके पीछे की वजह का पता नहीं लगाया जा सका है।
इस कुंड की गहराई पता लगाने के लिए इसके जल को पंप द्वारा निकला गया लेकिन कई दिनों तक पानी को निकालने के बाद भी इसके जल स्तर में थोड़ी भी कमी नहीं आयी। इसके जल को लगातार उपयोग में लेट रहने के बाद भी इसका स्तर कम नहीं होता।
इस कुंड में करीब 80 फ़ीट की गहराई में गोतोखोरों को तेज जल की कई धाराएं मिली हैं जो तेज गति से बाह रही है जिनका संबंध संभवतः समुद्र से है क्योंकि जब भी किसी सुनामी की आशंका या समुद्र में तूफ़ान के आने पर कुंड का जल स्तर अचानक ही बढ़ जाता है।
इस कुंड में गोतोखोरों को 80 फ़ीट में 2 और कुंड मिला है जिसमे एक में से पानी निकलते रहता है और दूसरे में भरते रहता है और इसी वजह से कही न कहीं इसके जल का स्तर एक जैसे बना रहता है, कभी कम नहीं होता।
दोस्तों उम्मीद है आपको हमारा यह लेख “An Unlsolved Mystery Of Bhimkund –Where Water Never Dries Up!” हिंदी में अच्छा लगा होगा। आपको भीमकुण्ड के बारे में यह “भीमकुण्ड का अनसुलझा रहस्य–जहाँ पानी कभी नहीं सूखता | An Unlsolved Mystery Of Bhimkund–Where Water Never Dries Up!” अंक कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं और शेयर करें। धन्यवाद
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